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बर्फीले हिमालय में मेरा पिछला जन्म

बर्फीले हिमालय में मेरा पिछला जन्म  मेरा एक पिछला जन्म हिमालय में एक तपस्वी के रूप में था जब मेरी उच्च चेतना मुझे अपने पिछले जन्म की अविश्वसनीय यात्रा पर ले गई, तो मुझे यह नहीं पता था कि ऐसा अनुभव संभव भी था। एक जंगल के बीच में मेरे कठिन अनुभव को फिर से देखना शुरू हुआ। मेरे आसपास अंतहीन पेड़ों की चादर बेहद खूबसूरत लग रही थी। बारिश के बाद हरे पत्ते नम थे। जंगल, चारों ओर रहने वाले, हर्षित जीवन से भरा लग रहा था। तब भी मेरे नेत्रों से बहुत कुछ छिपा हुआ भी है। मैं हवा की खुशबु को सूँघ सकता था और अपने गालों पर बारिश की नमी को महसूस कर सकता था। मैं एक गीली जमीन पर खड़ा था। मेरे पैर अभी भी मैले मैदान पर थे। मैंने अपने परिवेश पर ध्यान देने की कोशिश की। मैं, हमारी पवित्र नदी गंगाजी के ठीक बगल में खड़ा था। यह नदी की एक छोटी सहायक नदी थी जो घने जंगल से होकर गुजर रही थी। पानी बहुत ठंडा था। यह नदी अभी तक गहरी नहीं थी और इसका 'अमृत-सा' पानी इतना साफ और शुद्ध था। मेरी चितना ने वर्ष पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की ... यह वर्ष 1755 था। वक्त प्रभातकाल की थी.. सुबह के 5 बजे थे

मेरा पिछला जन्म - एक शिवभक्त के रूप में

🌷 मेरा पिछला जन्म - एक शिवभक्त के रूप में 🌷 एक पूर्व जन्म की छोटी सी झलक देखना मेरे लिए रोमांचक और साथ ही आश्चर्यजनक भी थी। एक अलग युग, एक अलग समय, अलग क्षेत्र और एक अलग शरीर की भावना आकर्षक थी। मुझे अपने मन की आँखों और चेतना को समायोजित करके, अपने अतीत को देखने में सक्षम होने में, समय लगा। भावनाएं अनिश्चितता के साथ नृत्य कर रही थीं। हमारे पास पाँच इंद्रियाँ हैं और फिर भी एक और जिसे आमतौर पर छठी इंद्रिय कहा जाता है। मैंने अपने छठे भाव पर अधिक ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया और उस समय क्षेत्र में अन्य इंद्रियों की बराबरी करने के लिए इसे पर्याप्त रूप से चार्ज किया। धीरे-धीरे मैने आस पास को महसूस करना शुरू किया। नई जगह की ताजगी और उसके प्राचीन होने का स्वाद को अनुभव करना शुरू कर दिया। अब मेरी चितना ने मेरे लिय स्पष्टता का मार्ग बनाना शुरू कर दिया। मेरी समझने की क्षमता को बेहतर करने हेतु राह दिखाई। मैंने एक जंगल में था जो अति विशाल था और मैदानी इलाके पर था। जंगल वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध प्रतीत हो रहा था। यह निस्संदेह बहुत सुंदर था। गर्मियों के दिन में भी, चारों ओर

"क्या समझना है" समझने की यात्रा

"क्या समझना है" समझने की यात्रा इससे पहले कि मैं अपने पूर्व जन्मों के अनुभवों के बारे में याद करूं और आपको उस यात्रा की झलक दिखलाऊँ  ... मैं किसी महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डालना चाहता हूं: " ज्ञान " कुछ लोगों को मेरे अनुभव काल्पनिक या परियों की कहानी प्रतीत हो सकते है; कुछ के लिए, सिर्फ एक कहानी; जबकि कई लोग इसके बारे में बिल्कुल भी परवाह नहीं करेंगे ... मेरे लिए, ये अनुभव से कहीं अधिक थे। मुझे धीरे-धीरे एहसास होने लगा कि ज्यादातर सब कुछ एक कारण से होता है। मैं उन जीवन को पहले ही जी चुकी थी। इसलिए मेरे लिए उन कुछ जन्मों की झलक फिर से देखना और कई अन्य जन्मों का ज्ञान प्राप्त करना… निस्संदेह एक कारण से ही था। मैंने इस विश्वास को ग्रहण किया कि ये निःसंदेह केवल साधारण जागरूकता से अधिक है और जो मेरे लिए महत्वपूर्ण था। आध्यात्मिकता के बारे में अधिक जानकारी न होना, हमारे शास्त्रों...यहां तक ​​कि बुनियादी आवश्यक सामान्य ज्ञान की कोई औपचारिक जानकारी नहीं होने के कारण, मेरा विश्वास...मानो भवंडर के बीच में था। कुछ भी स्पष्ट नहीं था। सब कुछ जो मैं सोच सकती थी या

शून्य से अनंत तक

शून्य से अनंत तक कई जन्मों की एक अविश्वसनीय यात्रा शून्य ~ मेरी आध्यात्मिक यात्रा है यह एक लंबी और समृद्ध यात्रा है ... शून्य से अनंत तक;  कुछ नहीं से सब कुछ तक; आत्मा से परमात्मा तक यह मेरी आत्मा की लंबी कहानी है जिसका एक एक पग उस अंतिम गंतव्य तक लेकर गया जिसे "मोक्ष" कहा जाता है हर आत्मा का यही अंतिम लक्ष्य है ओर इस  लौकिक मार्ग की तलाश में मेरे गुरु शिवजी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे हर कदम चलना सिखाया । यह विश्वास और सीखने की कहानी भी है ... आइए, मेरी आँखों से मेरी यात्रा का अनुभव करें… {ये मेरे निजी विचार हैं और मैं किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं रखती हूं और न ही मैं अपने खुद के अलावा किसी को कुछ भी साबित करने की कोशिश कर रही हूं।

My Most Incredible Past Birth Experience

Shunya to Infinity – An incredible experience that stunned me beyond words PART 1 This was the first past birth that I saw. Before the experience I was so filled with questions, the answer to which were hard to find. The unexplained experiences of mine right from the time I came into existence. Some of the points I noted before I saw my previous births were: o    I was born in a family of hardcore Krishna Bhakts (disciples). My mother used to tell me that the entire duration she was carrying me in her womb, she’d see dreams of different Gods and Goddesses every single night. But mostly she dreamt of Shiva and His various forms. Just night before I was born, she dreamt that she was sitting in a huge auditorium and she saw every possible God and Goddess come to stage one after the other….as if it were just one and changing forms so quickly. o    When I was only two and a half years old, I insisted to take me to Gangotri (the point from where River Ganges emerge)

My Birth as Maha Kaali Bhakt

My birth as Maha Kaali Bhakt This is one of my most important birth and very dear to me. I’m sharing just a little aspect of this birth. There is ocean of knowledge engraved. PART ONE I first saw myself as a male Rishi of 65 years of age. The surrounding, where I saw myself was a hilly jungle. The height of these hills wasn’t so high. But the hilly range was a long stretch. The hills weren’t heavily covered with trees but grass, plants, trees could be seen in patches and there were other blotches of solid rocks amongst these green patches. It was far away from any human habitation.   I stepped forward to see my point of focus. Amongst the rocky surface there stood what appeared to be a small cave. The opening of the cave was small. Outside it were plenty of wild bushes and few trees….some very old. The opening of the cave was so small that one had to bend pretty low to be able to entre it. It seemed pitch dark from the outside. I focused myself to enter w

My Birth as Shiv Bhakt & Wandering Sage

Birth as a Shiv Bhakt and a Wandering Sage Sharing with you all another previous birth. This is short and I still thought why not share whatever little I saw. I saw that I was a wandering male Sadhu (hermit). By birth I was a hardcore Shiv disciple. I would wander around from one place to another. I don’t exactly know what year was it…but it seemed like a pretty older times. I saw that I started to travel a long distance. My journey made a halt and I suppose I was in present day Madhya Pradesh. I was dressed in saffron dhoti and had a small “Jhola” bag again which was saffron in colour and matched my dhoti. I was barefooted and had a Kamandulu in one hand which was filled with water. It was summer season and I could feel the heat directly from the sun rays overhead. I started to climb the mountain. This mountain was very different from the other mountains I have seen in my previous births though even they had a lot of variations. This was made up of s